जब बात समाज की प्रगति की आती है तो प्रजनन अधिकारों की मान्यता और संरक्षण उसका एक एहम हिस्सा बन जाते हैं। भारत जैसे विविध देश में सुरक्षित और कानूनी गर्भपात सेवाओं का उपयोग केवल स्वास्थ्य सेवा का ही नहीं, बल्कि मौलिक मानव अधिकारों का भी मामला है। इसलिए इस विषय पर हो रही चर्चाओं के बीच, ज़मीनी हकीकत और भारत में मेडिकल गर्भपात अधिकारों को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे को समझना बेहद ज़रूरी हो जाता है। इस लेख के माध्यम से हम भारत में मेडिकल गर्भपात के अधिकार: शीर्ष 7 तथ्य को समझने की कोशिश करेंगे, जो इस विषय पर हमारी समझ को और मज़बूत और सटीक बनाने में मदद करेगा।

मेडिकल गर्भपात अधिकार और 7 मुख्य तथ्य:

1)कानूनी समर्थन: भारत उन पहले प्रगतिशील देशों में से है जिसने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम, 1971 के तहत, 1971 में ही गर्भपात को कुछ शर्तों के साथ कानूनी बना दिया था। हालांकि इसका उद्देश्य केवल जनसंख्या नियंत्रण था, लेकिन फिर भी, आगे चलकर यह कानूनी ढांचा महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात सेवाएं प्रदान करने में मील का पत्थर साबित हुआ। यह अधिनियम, विशिष्ट परिस्थितियों में, जैसे कि महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को जोखिम या भ्रूण की असामान्यताओं के मामलों में, गर्भावस्था को 20 सप्ताह तक समाप्त करने की की अनुमति देता था। 2021 में अधिनियम में और संशोधन किया किये गए, और गर्भकालीन आयु सीमा को 24 सप्ताह तक बढ़ा दिया गया। इन संशोधनों के बारे में यह अधिकार यहाँ पढ़ें।

2)चिकित्सीय गर्भपात: जिसे मेडिकल गर्भपात के रूप में भी जाना जाता है। मेडिकल गर्भपात एक बेहद सुरक्षित तरीक़ा है। जिसका सहारा हर साल लाखों महिलाएं लेती हैं। इसके तहत गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए गर्भपात की गोलियों का उपयोग किया जाता है। जिसमें मिफेप्रिस्टोन एवं मिसोप्रोस्टोल, या केवल मिसोप्रोस्टोल गोलियों का उपयोग किया जाता है। यह एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है, खासकर गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में। एमटीपी अधिनियम, गर्भधारण के नौ सप्ताह तक चिकित्सीय गर्भपात की अनुमति देता है, इसे आपके घर में आराम से स्वयं प्रबंधित किया जा सकता है। HowToUseAbortionPill प्रोटोकॉल 13 सप्ताह तक की गर्भधारण के लिए है। यदि आप घर पर सुरक्षित मेडिकल गर्भपात के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इसकी और अधिक जानकारी यहाँ पढ़ सकते हैं।

3)आयु प्रतिबंध: मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिला का गर्भधारण उसकी सहमति से समाप्त किया जा सकता है, इसके लिए उसे किसी और की सहमति की आवश्यकता नहीं है। लेकिन जब नाबालिग (यानी 18 वर्ष से कम उम्र की महिला) को गर्भपात की सेवाएं प्रदान करने की बात आती है तो, एमटीपी अधिनियम क तहत अभिभावक/संरक्षक की सहमति अनिवार्य है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि MTP Act संरक्षक को एक व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है। जिसके अनुसार वह 18 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति जो नाबालिग महिला की देखभाल में शामिल है, नाबालिग महिला के साथ क्लिनिक जा सकता है और वास्तविक अभिभावक के तौर पर इसके लिए सहमति दे सकता है।

4) निजता का अधिकार: गर्भपात को प्राप्त कानूनी मान्यता के बावजूद भारतीय समाज के कई समुदायों में गर्भपात वर्जित या गलत माना जाता है। विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएँ अक्सर गर्भपात के बारे में गलत धारणाएँ और कलंक पैदा करती हैं, गर्भपात चाहने वाली महिलाओं पर लांछन लगाए जाते हैं, और उनके साथ भेदभाव किया जाता है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी घोषणा की है, कि गर्भपात एक मौलिक अधिकार है और सभी महिलाओं को ‘MTP’ एक्ट के तहत सुरक्षित और कानूनी गर्भपात का अधिकार है। जो पुख़्ता करता है कि गर्भपात वर्जित या गलत नहीं है।

5) शादीशुदा होने की जरूरत नहीं: साल 2014 से पहले गर्भपात चाहने वाली महिलाओं के लिए बड़ा प्रतिबन्ध था कि इसके लिए उनका शादीशुदा होना ज़रूरी था। लेकिन 2014 में एमटीपी अधिनियम में हुए संसोधन के मुताबिक़ महिलाओं को गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए शादीशुदा होने की ज़रूरत नहीं है। साल 2021 में, इसमें और संशोधनों के साथ इसे और सरल कर दिया गया। अब, MTP अधिनियम वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना महिलाओं को निर्धारित शर्तों के तहत गर्भपात कराने की अनुमति देता है।

6)चिकित्सकों की अनुमति: भारत में एमटीपी अधिनियम, 1971 के अनुसार, मेडिकल गर्भपात के लिए आवश्यक डॉक्टरों की अनुमति की संख्या इस पर निर्भर करती है कि गर्भावस्था 12 सप्ताह तक है या 12 से 20 सप्ताह के बीच।
जिसके अंतर्गत: गर्भधारण के 12 सप्ताह तक: केवल एक पंजीकृत चिकित्सक की राय की आवश्यकता है। वहीं गर्भधारण के 12 से 20 सप्ताह के बीच: कम से कम दो पंजीकृत चिकित्सा चिकित्सकों की सलाह आवश्यक होगी।

7)गर्भपात के बाद की देखभाल: गर्भपात के बाद महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए गर्भपात के बाद की व्यापक देखभाल तक पहुंच आवश्यक है। इसमें प्रक्रिया के बाद किसी भी शारीरिक या भावनात्मक चिंताओं को दूर करने के लिए फ़ॉलोअप परामर्श, गर्भनिरोधक परामर्श और सहायता सेवाएँ शामिल हैं। गर्भपात के बाद शारीरिक और मानसिक देखभाल को और बेहतर तरीक़े से समझने के लिए आप यहाँ विस्तार में पढ़ सकते हैं। या हमारी वेबसाइट पर हमारे ऐली चैटबॉट के माध्यम से ऑनलाइन सलाहकारों से बात कर सकते हैं। जो आपकी सुविधा के लिए हिंदी में भी उपलब्ध हैं।

आप चाहें तो हमारे सुरक्षित गर्भपात सहायक से भी बात कर सकती हैं। जो हिंदी बोलते हैं, और इस टोल फ्री नंबर: +1 (833) 221-2559 पर हमारी साइट या व्हाट्सएप के माध्यम से चिकित्सा गर्भपात के बारे में जानकारी हासिल करने में लोगों की मदद करते हैं।

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