एक अनचाही या ऐसी गर्भावस्था जिससे महिला और होने वाले बच्चे के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुँच सकती है। सही समय रहते उसका गर्भपात करा दिया जाना बहुत जरूरी होता है। हमारे भारत देश का कानून भी किसी ठोस कारण होने पर गर्भपात कराने की अनुमति देता है। इसलिए यदि गर्भपात काराना जरूरी है, तो फिर वो एक सुरक्षित गर्भपात ही होना चाहिए।

गर्भपात कराने से पहले गर्भवती महिला और उसके परिवार कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

    1. सोच समझकर जल्दी निर्णय लें – गर्भावस्था की शुरुआती जाँचों में अगर कोई ऐसी बात सामने आई हो, जैसे की गर्भावस्था होने वाली माँ या बच्चे में से किसी एक या दोनों के लिए ही आगे आने वाले समय में खतरा बन सकती है। इस स्थिति में गर्भपात कराया जाना जरूरी है। ऐसे में जरा भी देर न करें। किसी नजदीकी प्रशिक्षित डॉक्टर से सलाह लें और गर्भपात के लिए सुरक्षित तरीकों के बारे में जानकारी जुटाएँ।
    2. गर्भपात से जुड़े अपने अधिकारों को महिला जानेभारत का संविधान एक गर्भवती महिला को कुछ विशेष परिस्थितियों में गर्भपात करने की अनुमति देता है जैसे कि ,
  • अगर गर्भावस्था बलात्कार या किसी तरह आए शारीरिक शोषण का परिणाम हो
  • गर्भनिरोधक कि असफलता कि वजह से गर्भ ठहरा हो
  • यदि गर्भावस्था जारी रखने से महिला के जीवन को कोई खतरा हो
  • यदि गर्भ में पल रहा बच्चा किसी तरह की शारीरिक या मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो
  • महिला का गर्भपात करने का कारण सामाजिक या आर्थिक भी हो सकता है
    इन कारणों के होने पर महिला को गर्भपात करने के लिए ना तो अपने साथी से अनुमानी लेने कि जरूरत है, और न ही अपने परिवार से। सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में गर्भपात कि सुविधा मुफ्त उपलब्ध होती है। प्राईवेट ( निज़ी ) अस्पतालों में इस सुविधा के लिए आपको कुछ फीस देनी होती है जो कि लगभग 2000 रू से लेकर 10000 रू तक हो सकती है

 

3. गर्भपात सुरक्षित भी होता है – सही समय के अंदर और किसी प्रशिक्षित डाक्टर से कराया गया गर्भपात एकदम सुरक्षित होता है। सुरक्षित गर्भपात कि प्रक्रिया में महिला को किसी प्रकार कि कोई स्वास्थ्य हानी नहीं होती। किसी भी प्रकार की समस्या होने की सिर्फ 2% से 5% ही संभावना होती है।

 

स्वतः गर्भपात – कभी कभी किन्ही कारणों से गर्भवती महिला का अचानक ही गर्भपात ( Miscarriage ) हो जाता है। ऐसे में ये सोचना कभी कभी गलत भी हो सकता है की पूरा गर्भपात हो चुका है। पूरा गर्भपात हो जाने की पुष्टि करने के लिए एक बार डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी होता है।

सुरक्षित गर्भपात

जब एक महिला अपनी अनचाही गर्भावस्था को समाप्त करने, या अन्य किसी वजह से गर्भपात करने के लिए सही समय के अंदर किसी प्रशिक्षित डाक्टर द्वारा बताए गए उपाय अपना कर, किसी योग्य डाक्टर के क्लीनिक में या किसी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में अपना गर्भपात कराती है। यह एक सुरक्षित गर्भपात कहलाता है। एक सुरक्षित गर्भपात किए जाने के बाद गर्भ में भ्रूण का कोई भी अंश बाकी नहीं रहता, साथ ही महिला को गर्भपात के बाद किसी प्रकार की समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ता। इस प्रकार एक सुरक्षित गर्भपात के बाद महिला को असुरक्षित गर्भपात के कुछ समय बाद में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से तो निजात मिलता ही है, साथ ही उसे भविष्य में भी किसी प्रकार की शारीरिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। और सही समय अंतराल के बाद डॉक्टर की सलाह लेकर महिला दोबारा गर्भ धारण कर एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दे सकती है ।

सुरक्षित गर्भपात के मुख्य दो तरीके

चिकित्सीय गर्भपात – सुरक्षित गर्भपात के लिए डाक्टर महिला को दो दवाएं मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल योनि में रखने के लिए देते है कभी कुछ समय अंतराल में और कभी कभी एक साथ। यह प्रक्रिया सिर्फ डॉक्टर के दिये निर्देश अनुसार ही अपनाई जानी चाहिए। इन दवाओं के असर से महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण की कोशिकाओं में विभाजन होना शुरू हो जाता है, और भ्रूण शरीर से बाहर निकलने लगता है, और इसके साथ ही गर्भ सिकुड़ने लगता है। और इस तरह गर्भपात हो जाता है।
सर्जिकल गर्भपात – सुरक्षित गर्भपात के इस तरीके के लिए डॉक्टर द्वारा महिला को कुछ देर के लिए एनेस्थीसिया देना होता है। जिससे कि महिला को सर्जरी के दौरान अधिक तकलीफ न हो, और डाक्टर सर्जरी अच्छे से कर सकें। इसके बाद डाक्टर महिला के शरीर में से equipment ( औज़ार ) की सहायता से भ्रूण को बाहर निकाल लेते हैं। और गर्भपात हो जाता है।

जांच लें कि गर्भपात पूरा हो गया है

सुरक्षित तरीके से कराया गया गर्भपात वैसे तो पूरी तरह विश्वसनीय होता है , लेकिन गर्भपात पूरा हो जाने की जांच कर लेना बहुत जरूरी होता है। इसे जाँचने का सबसे पहला तरीका है Pregnancy test, एक टेस्ट के माध्यम से पता किया जा सकता हैं की गर्भपात पूरा हो गया है की नहीं।
और फिर इसी बात को अल्ट्रासाउण्ड ( Ultrasound ) करके समझा जा सकता है। यह बहुत ही जरूरी है की गर्भपात हो जाने की पुष्टि कर ली जाये।

सुरक्षित गर्भपात के लक्षण पहचानने के और भी कुछ तरीके होते हैं जिन्हें महिला अपने शरीर में ही महसूस करके बता सकती है की पूरा गर्भपात सुरक्षित तरीके से हो गया है या नहीं

  • गर्भपात होने के बाद का सबसे पहला लक्षण होता है ब्लीडिंग (Bleeding) । ब्लीडिंग होने का मतलब होता है कि सुरक्षित गर्भपात हो चुका है। यह लगभग 8 दिनों में पूरी तरह बंद भी हो जाती है। लेकिन गर्भपात के 10 दिन तक भी अगर महिला को बहुत अधिक ब्लीडिंग होती जा रही है, तो इसका मतलब है की कोई समस्या है। ऐसे में महिला को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
  • दूसरा लक्षण होता है पेट में दर्द और ऐंठन। गर्भपात के समय से लेकर गर्भपात हो जाने के बाद तक महिला को पेट में दर्द और ऐंठन होती रहती है। यह लगभग दो से तीन दिनों में पूरी तरह से ठीक हो जाती है। अगर यह दर्द दर्द निवारक दवाइयाँ लेने के बाद भी कम नहीं हो रहा हो, तो हो सकता है कोई गंभीर समस्या हो गयी हो। इसलिए इस परिस्थिति में भी महिला को तुरंत डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी होगा।